तू है तो
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(लक्ष्य
“अंदाज़”)
तू है तो मैं हूँ दुनिया है
जीने का मामलात भी तो है !
तुझी से शबो-सहर भी है
और सारी कायनात भी तो है !
अकेला भी हूँ मैं तो क्या
तुम्हारे लफ़्ज़ों के धीमे से
शीरीं काफिले गिर्द हैं मेरे
गाफिल भी हुआ हूँ तो क्या
दुआ से पाक अल्फाजों के
पलक नाखुदा शागिर्द हैं मेरे
धौंकनी से धडकते दिल में
रौनके-शामिलात भी तो है !!
मेरा हाथ थाम ले महबूब
आज इस थर्राती रात में
कि मैं जब सुबह भी जागूँ
होठों पर तेरा ही नाम हो
मेरी आँखें तेरे ही अक्स ढूंढें
दोजानू खुदा से तुझे ही मांगूँ
बुखार से दहकते बदन में
जलते होठों की हरारत भी तो है !!
जीने का मामलात भी तो है !
तुझी से शबो-सहर भी है
और सारी कायनात भी तो है !
अकेला भी हूँ मैं तो क्या
तुम्हारे लफ़्ज़ों के धीमे से
शीरीं काफिले गिर्द हैं मेरे
गाफिल भी हुआ हूँ तो क्या
दुआ से पाक अल्फाजों के
पलक नाखुदा शागिर्द हैं मेरे
धौंकनी से धडकते दिल में
रौनके-शामिलात भी तो है !!
मेरा हाथ थाम ले महबूब
आज इस थर्राती रात में
कि मैं जब सुबह भी जागूँ
होठों पर तेरा ही नाम हो
मेरी आँखें तेरे ही अक्स ढूंढें
दोजानू खुदा से तुझे ही मांगूँ
बुखार से दहकते बदन में
जलते होठों की हरारत भी तो है !!
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सुनो
ये सच है ....
मेरा प्यार
नर्बदा
सा कुंवारा है !
प्यासा,
प्यासा,
पर
याद रहे
सदानीरा
है !!
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(डॉ.एल .के.शर्मा )
……© 2014 “ANDAZ-E-BYAAN” Dr.L.K. SHARMA
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