साजिशें
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(लक्ष्य “अंदाज़”)
इन फूलों को खिलने से रोकने की साजिशें तेरी तो न थीं !!
रात खवाब में सिसकते बदन की लरजिशें तेरी तो न थीं !!
रात खवाब में सिसकते बदन की लरजिशें तेरी तो न थीं !!
वो कोई ‘अज़ीज़े-जान’ था जो पानी में ज़हर घोल
के हँसा !
तडपती हुई मछलियों की दिलकश नुमाइशें तेरी तो न थीं !!
तडपती हुई मछलियों की दिलकश नुमाइशें तेरी तो न थीं !!
तू बता कि, बेबसी के सजदों पर
बेरहम खुदा क्यूँकर हुआ !
बोल ,मेरे सर पे अना के ताज में आराईशें तेरी तो न थीं !!
बोल ,मेरे सर पे अना के ताज में आराईशें तेरी तो न थीं !!
अब तू जो कहे तो मैं इश्क में इकरारे-जुर्म भी कर
लूँगा !
मैं जानता हूँ के सजाए-मौत की सिफारिशें तेरी तो न थीं !!
मैं जानता हूँ के सजाए-मौत की सिफारिशें तेरी तो न थीं !!
बहिश्त के बाग़ में ‘अंदाज़’ का खून बहा के तो गया
कोई !
दिल को यकीन है मेरे कत्ल की गुजारिशें तेरी तो न थीं !!
दिल को यकीन है मेरे कत्ल की गुजारिशें तेरी तो न थीं !!
……©2015 “ANDAZ-E-BYAAN” Dr.LK SHARMA
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