Thursday, 12 February 2015

मुकरने दो

मुकरने दो
किसी को
पारस पीपल बनने दो

पंछी लौटेंगे
फिर से
एक तिनका लिए
ठहर जायेंगे

‘मलिना’ के छतनार में
खिलते हुए फूल को
बिना छुए …….


(डॉ.एल.के.शर्मा)
……© 2015 Dr.L.K. SHARMA







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