Saturday, 14 February 2015

आज फिर से , गुंजा ....

आज फिर से , गुंजा ....
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(लक्ष्य अंदाज़”)

आज फिर से
तेरा ख्याल आया
मौसमों पर
रंग–ऐ–जमाल आया

आसमानी आँचल से
महक सी उठी
तेरा चेहरा बन के
हिलाल आया

तेरे आने के ख्याल से
फाग गा रहा मन
तेरे शहर से ये उड़ता
मद भरा गुलाल आया

ये पलाशिया दुपहरी
बुला रही है तुझे
देख तेरे नाम से ही
मेरे फागुन में धमाल आया

सुर्ख गुलों में दबी आग से
हवाएं भी दहकती हैं
लचकती शाखें भी , तेरी
अंगड़ाईयों सी महकती हैं

अंदाज़ की सूनी आँखों में
आज फिर से
वस्ल का सवाल आया
आज फिर से
तेरा ख्याल आया !!

रंग–ऐ–जमाल= रंगों की ख़ूबसूरती
हिलाल=चाँद
वस्ल=मिलन


(डॉ.एल.के.शर्मा)
……© 2015 Dr.L.K. SHARMA


1 comment:

  1. तेरे आने की आहट से,फाग गा उठा मेरा मन
    मद भरे गुलालो ने ये पैगाम लाया हे ।
    फागुन के माह ने तेरे आने का संदेश लाया है ।

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