अक्सर
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तू अपनी आँखों में
अक्सर,
चाँद छिपाया करता था
हथेलियों की हिना में
दिन भर,
सूरज दमकाया
करता था
अपने पैरहन में जुदा रंग
भर कर ,
तू मौसम बतलाया करता था
जाने खुद से ही गया
या......
खुदा से गया
या .....
मेरे मौसम बदल गया
(डॉ.एल.के.शर्मा)
……© 2015 Dr.L.K. SHARMA
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