Thursday, 24 September 2015

अब सितम ये भी (डॉ.लक्ष्मीकान्त शर्मा)

अब सितम ये भी

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(लक्ष्य “अंदाज़”)


अब ये भी सितम कि मैं क्यूँ ना बरबाद हुआ !!

फलक से गिरा तारा क्यूँ जमीं पर आबाद हुआ !!


दलील तेरी वकील तेरे हाकिम भी बगलगीर हुए ,

हर फैसला हक में बता फिर तू क्यूँ नाशाद हुआ !!


गीत गाना गुनाह था गला चाक कर दिया होता ,

पंख नोच कर छोड़ दिया तू अजब सैय्याद हुआ !!


किसने कहा शमशीरों से आह दबी मुफलिस की ,

सदाए-कलम घोट दे ना ऐसा कोई जल्लाद हुआ !!


मरते हैं मर जाएंगे बस इतना सा समझ लीजे ,

लौट के फिर से आएँगे चमन हमे शमशाद हुआ !!


लाख सजा लो महफिल को जीनत नाम धरो चाहे,

याद करोगे शाईर था एक “अंदाज़” ना बेदाद हुआ !! 



 ……©2015 “ANDAZ-E-BYAAN” Dr.L.K.SHARMA



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