गुंजा ,सुनो
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सुनो गुंजा,
बहुत भाते हैं मुझे ,
बंधन नेह के !!
आत्मा से गूंजते
प्रीत निवेदन देह के
अयाचित से अनुबंध
सुलगती रेत पर बरसते मेह के !!
सुनो गुंजा,
रास आते हैं मुझे ,
विरह से व्यथित
ऊँचे सुरों के आलाप
कुछ मिलन गीत !!
भूले से कुछ सम्बन्ध
एक नयी नवेली सी शरमाई प्रीत !!
सुनो गुंजा,
पास बुलाते हैं मुझे ,
समंदर यादों के
बेदर्दी से रौंदे हुए
मौसम, इरादों के !!
पतझर में रंग बदलते
बहरे ख्वाब अमलतासिये वादों के !!
……© 2014Dr.L.K.SHARMA
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