भानमती के गाँव में
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(लक्ष्य “अंदाज़”)
अब के जो लोग हाथ में पत्थर उठा के आयेंगे !!
तेरे कूचे में हम भी अब ज़ख्म बिछा के जायेंगे !!
अंगारों सी रात को रोशन करो और जल जाओ,
हम धूनी की राख को पलकों से उठा ले जायेंगे !!
भानमती के गाँव में तुम अन्धमति सी फिरती हो,
देखना एक दिन तुम्हें वो जोगी उठा ले जायेंगे !!
तुम पैरहन के रंगों से बदलियाँ बनाती ना फिरो ,
बहके से मोर देखेंगे उन्हें और बावले हो जायेंगे !!
तेरे इश्क की झीलों में अब झेलम उतरके आई है,
“अंदाज़” के अश्कों में अब ये काफिले बह जायेंगे!!
(लक्ष्य “अंदाज़”)
अब के जो लोग हाथ में पत्थर उठा के आयेंगे !!
तेरे कूचे में हम भी अब ज़ख्म बिछा के जायेंगे !!
अंगारों सी रात को रोशन करो और जल जाओ,
हम धूनी की राख को पलकों से उठा ले जायेंगे !!
भानमती के गाँव में तुम अन्धमति सी फिरती हो,
देखना एक दिन तुम्हें वो जोगी उठा ले जायेंगे !!
तुम पैरहन के रंगों से बदलियाँ बनाती ना फिरो ,
बहके से मोर देखेंगे उन्हें और बावले हो जायेंगे !!
तेरे इश्क की झीलों में अब झेलम उतरके आई है,
“अंदाज़” के अश्कों में अब ये काफिले बह जायेंगे!!
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