Sunday, 14 June 2015

कैसे तेरा हिज्र लिखूं

 कैसे तेरा हिज्र लिखूं
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(लक्ष्य अंदाज़”)

शहरे वफ़ा की फिजाओं का रंगीन सलाम लिखूं  !!
आजा कि इन हवाओं पर तेरा रेशमी नाम लिखूं !!

तेरी मुहब्बतों में डूबकर शहरों शहर भटका मगर ,

इक रात नशे की ऐसी दे मैं आँखों के जाम लिखूं !!

यहाँ बदलियों के आइने तेरी मुसलसल तस्वीरें हैं ,
मैं आसमां में उड गया इन्हें चूम लूँ पयाम लिखूं  !!

जंगलों की बारिशों में भीग कर मैं ये ही सोचता ,
तेरे लबों की नमी को सहर लिखूं या शाम लिखूं !!

तुझे ज़र्फ़ पे यकीन है मुझे हादिसों का खौफ है ,
तेरे मिलने की इबादतें किस खुदा के नाम लिखूं  !!

तेरे शहर के इक अदीब ने कई बार मुझे ये कहा ,
तुझे भूलकर जिंदा रहूँ तुझे याद कर कलाम लिखूं !!

ये कहानियों सी बात है तू आज तक मेरे साथ है ,
मैं कैसे तेरा हिज्र लिखूं मैं कैसे वफ़ा नाकाम लिखूं  !!




©2015 “ANDAZ-E-BYAAN”  Dr.LK SHARMA

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