मैं डगर तुम्हारी
तकता हूँ !!
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जब सावन
झूम बरसता हो !
जल थल
नभ समरसता हो !
जब
बिजली कहीं कडकती हो ,
एक आग
हिया में भड़कती हो ,
और लाज
की चूड़ी तडकती हो !!!
मैं
नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ ! १ !
जब जेठ
दुपहरी तपने लगे !
और बदली
कोई बरसने लगे !
जब टेसू
फूल झरे तुम पर ,
और चंदा
रूप भरे तुम पर ,
और रात
का हार धरे तुम पर !!!
मैं
नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ ! २ !
बस्ती
में बड़ा अंधियारा है !
ये बन
विस्तार तुम्हारा है !
आ जाओ
तो इक अलख जगे ,
जनम हो
गए अब पलक लगे ,
और जोगी
ये कब तलक जगे !!!
मैं
नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ !३ !
रात
कुमिदिनी खिलने दो !
सघन झील
में मिलने दो !
ना जग
को यूँ बलात् सुनो ,
ये मधु
प्रणय की रात सुनो ,
जुगनू
की जलती बात सुनो !!!
मैं नींद
ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ !४ !
उधडन मन
की सिलने दो !
प्रीत
भोर तक मिलने दो !
स्वास
स्वास में खो जाए ,
धरती
आकश में खो जाए ,
फिर
चिरनिद्रा में सो जाए !!!
मैं
नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ !५ !
आह !
जिएँ मधुमास प्रिये !
स्वेद
सिक्त सहवास प्रिये !
अंतर्गुम्फित
दो बदनों से ,
धरा –धूसरित
वसनों से ,
प्रणय
कम्पित वचनों से !!!
मैं
नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ !६ !
तुम कब
सच में आओगी !
सोना
रूपा सब लाओगी !
मेहँदी
रची हथेली से ,
प्रेम
डगर अकेली से ,
सांस की
अथक पहेली से ,
मैं
प्रणय गीत ये कहता हूँ !
मैं
नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर
तुम्हारी तकता हूँ !७ !!
लक्ष्य “अंदाज़”
©2015 Dr.LK SHARMA
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