Sunday 14 June 2015

मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ

मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ !!
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जब सावन झूम बरसता हो !
जल थल नभ समरसता हो !
जब बिजली कहीं कडकती हो ,
एक आग हिया में भड़कती हो ,
और लाज की चूड़ी तडकती हो !!!
मैं नींद ताक पर रखता हूँ  !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ ! १ !

जब जेठ दुपहरी तपने लगे !
और बदली कोई बरसने लगे !
जब टेसू फूल झरे तुम पर ,
और चंदा रूप भरे तुम पर ,
और रात का हार धरे तुम पर !!!
मैं नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ ! २ !

बस्ती में बड़ा अंधियारा है !
ये बन विस्तार तुम्हारा है !
आ जाओ तो इक अलख जगे ,
जनम हो गए अब पलक लगे ,
और जोगी ये कब तलक जगे !!!
मैं नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ !३ !

रात कुमिदिनी खिलने दो !
सघन झील में मिलने दो !
ना जग को यूँ बलात् सुनो ,
ये मधु प्रणय की रात सुनो ,
जुगनू की जलती बात सुनो !!!
मैं नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ !४  !

उधडन मन की सिलने दो !
प्रीत भोर तक मिलने दो  !
स्वास स्वास में खो जाए ,
धरती आकश में खो जाए ,
फिर चिरनिद्रा में सो जाए !!!
मैं नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ !५ !

आह ! जिएँ मधुमास प्रिये !
स्वेद सिक्त सहवास प्रिये !
अंतर्गुम्फित दो बदनों से ,
धरा –धूसरित  वसनों से ,
प्रणय कम्पित वचनों से !!!
मैं नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ !६  !

तुम कब सच में आओगी !
सोना रूपा सब लाओगी  !
मेहँदी रची हथेली से ,
प्रेम डगर अकेली से ,
सांस की अथक पहेली से ,
मैं प्रणय गीत ये कहता हूँ !
मैं नींद ताक पर रखता हूँ !!
मैं डगर तुम्हारी तकता हूँ !७ !!



लक्ष्य “अंदाज़”

©2015 Dr.LK SHARMA

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