Monday 6 July 2015

फूल वहाँ सोया होगा

फूल वहाँ सोया होगा

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(लक्ष्य अंदाज़”)

 वक्त के दोनों पाटों में मन घिसा पिसा सोया होगा !!
घड़ी की टिकटिक थमी रही थी घड़ीसाज सोया होगा !!

जली घास के परदों में एक बीर बहूटी छिप ना सकी ,
बन -पांखी की भूख जगी उप-वन सारा सोया होगा !!

खुश्क हवा ने पत्तों में कब पानी बाकी छोड़ दिया ,
पर पत्ते शाख से गिरे नहीं वो फूल वहाँ सोया होगा !!

इक बदली के आगोश में चाँद ने सेज सजा ली है ,
मेरे बिस्तर से तेरे घर तक राह में रुक सोया होगा !!

उस भूत  वाले पीपल को कल तेज हवाएं ले बैठीं ,
अब अम्मा की कहानी में वो भूत कहाँ सोया होगा !!

मेले से लौटते बच्चों के चेहरों पर अजब उदासी है ,
पानी के फुग्गे वाला भूख से मरा नहीं सोया होगा !!

यह ग़ज़ल नहीं नादानी है और नज़म कहाँ हैरानी है,
ये बोल बोल कर थका हुआ “अंदाज़” अभी सोया होगा !!




©2015 “ANDAZ-E-BYAAN”  Dr.LK SHARMA



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