मैं बहाना हो जाऊँगा
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मैं तो अब
बहाना हो जाऊँगा
पेड़ नदी और चाँदनी के
गीत का !!
पर लिखती ही रहना
तुम रोज, गीत
मेरी प्रीत का !!
तुम लिखना ,.
यादें मेरी
बातें मेरी !!
वो दिन
जो मेरे साथ बीते, लिखना
जो छीन ली तुमने
लिखना,
वो रातें मेरी !!
मैं तो अब
बिराना हो जाऊँगा
बचपन के मीत सा
स्वपन के संगीत सा
घर के पहले संदूक में
जो रख कर
भूल गयीं तुम
उसी अधलिखे
‘प्रणय-गीत’ सा
तुम लिखना ,.
तुम्हें छूने से भटकी
मेरी साँसे लिखना
तुम्हारे चेहरे पर अटकी
मेरी आँखें लिखना !!
खेतों की उन रातों के
जुगनू लिखना
उस अमलतासी दोपहर
तुम्हारे बालों में ,
खोंस दिए जो मैंने
वो हरियल की पाँखें लिखना !!
मैं तो अब
फ़साना हो जाऊँगा
गीत के उन्वान सा !
कथा के वितान सा !!
एक बरसती सी रात में
शरणागत हो कर आये
और ,भुला दिए गए
किसी मेहमान सा !!!
तुम लिखना ,.
ख़ामोशी मेरी
बेकसी मेरी !
कभी तो मिलेगी
इस अशरीर प्रेम की राह
उस ‘अ-प्रेम’ से उपजी डाह
आखिरी साँस तक
तुम्हारा होने की चाह
तुम ये चाह लिखना
तुम मेरी आह लिखना
तुम लिखना,.
बेबसी मेरी !!
मैं तो अब
बहाना हो जाऊँगा
पेड़ नदी और चाँदनी के
गीत का !!
पर लिखती ही रहना
तुम रोज, गीत
मेरी प्रीत का !!
लक्ष्य "अंदाज़"
……©2014. ‘MAIN
BAHANA HO JAAUNGA’LK SHARMA
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