Thursday, 12 May 2016

फाग-फाग होरी हो गई / डॉ.लक्ष्मीकांत शर्मा

फाग-फाग होरी हो गई 
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( डॉ.लक्ष्मीकांत शर्मा)

(1)

आज फिर अचानक
थम सी गयीं हवाएं ,
ठिठक गए पत्तों के पांव !
जाग सी उठी घटाएं ,
कुनमुनाई पीपल की छाँव !!

 (2)
आज फिर अचानक
सोनजूहीने बरसा दिए,
फूल अंजुरी भर-भर ! 
सरसों के खेत में उड़ते उड़ते,
रुक गए कृष्ण-भ्रमर!!

(3)

आज फिर अचानक
बादलों की ओट से लगा झाँकने
सूरज व्यतिथ सा !
मेरी गुमसुम सी देह मुस्कुराई
जाग उठा तन वसंत सा !!

(4)
आज फिर अचानक
पलाश के लाल दहकते फूल 
छुपे,सघन हरे पातो में !
जैसे हरी चुनर लपेटती हो तुम
सुर्ख मेंहदी रचे हाथों में !!


 (5)
आज फिर अचानक
तुम्हारे आते ही मेरे मन की,
सारी सृष्टि गोरी हो गई !
तुम्हरे बदन के बसंत से
नहाई धूप में ,
मेरे बदन की हरेक राग,
फाग-फाग होरी हो गई !
!



© 2016 Dr.L.K. SHARMA



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ऐसे ही आना तुम / (डॉ.लक्ष्मीकान्त शर्मा )

ऐसे ही आना तुम
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(डॉ.लक्ष्मीकान्त शर्मा )

ऐसे ही आना तुम
चली आती हैं जैसे
सूरज की रश्मियाँ
सोनार दुर्ग की प्राचीर से
करने रोज अठखेलियाँ !

ऐसे ही रुक जाना तुम
जैसे थार के  इस
आखिरी स्टेशन पर
थम जाते हैं रेल के पहिए
वापस मुड़ते हैं
कल फिर लौटने के लिए !

ऐसे गुनगुनाना तुम
जैसे कुलधरा के
किसी उजड़े झरोखे में
कोई नवेली ब्याहता आए !
अपने पिया का ध्यान दूसरी ओर देख
हौले से अपना चूड़ा खनकाए !

ऐसे खिलखिलाना
अपने नम होठों से तुम
जैसे जब कोई मांझी
सहसा सीटी बजाए !
बकुल पांखी का झुण्ड
अपने परों से
गडेसर का जल छलकाते हुए
नीले आसमान में मंडराए !

ऐसे चलना तुम
रेत पर हलके कदमों से
जैसे गोंडावन गुजरे
चाल की सधी हुई लार्जिशें लिए !
रेत के विस्तार में
गुम हुए अपने संगी को
खोजने की ख्वाहिशें लिए !

ऐसे मुस्कुराना तुम
जैसे चटख धूप में
खड़ा अकेला रोहिडा फूले !
और , ये सब
ऐसे याद दिलाना तुम
कि यायावर कोई
अपनी भूली हुई मंजिलों को फिर छूले !!

गोंडावन- एक दुर्लभ चिड़िया , राजस्थान का राज्य पक्षी.
रोहिडा – राजस्थान का राज्य पुष्प
गडेसर – जैसलमेर की एक स्थानीय झील.


……© 2016 ऐसे ही आना तुम” Dr.L.K. SHARMA